ब्रह्मेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित लवलेश तिवारी जी महाराज बचपन से ही प्रभु लीलाओं एवं भक्ति पर विश्वास रखते थे। आज सबसे कम उम्र में एक प्रसिद्ध कथा वाचक एवं ब्रह्मेश्वर धाम पीठाधीश्वर के रूप में ख्याति प्राप्त करने वाले महाराज बन चुके हैं। आइए हम जानते हैं, एक चैनल के माध्यम से उन्होंने अपने जन्म से लेकर वर्तमान समय तक सभी को अपने जीवन के बारे में बताया है।
2.2.धाम की मूर्ति में संदेह की भावना किस प्रकार से जगी?
जन्म स्थान और पैतृक जन्म स्थान:
बचपन का समय:
पंडित लवलेश तिवारी महाराज जी के प्रारंभिक गुरु:
बचपन से ही पूजा पाठ करने का मार्गदर्शन:
दरबार की ख्याति फैलने का कारण:
💥 ब्रह्मेश्वर धाम के बारे में संपूर्ण जानकारी
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हम जानेंगे:
1.1.पंडित लवलेश तिवारी महाराज जी का जन्म स्थान कहां है?
1.2.पंडित लवलेश महाराज जी का बचपन कैसा बीता?
1.3.पंडित लवलेश तिवारी जी की प्रारंभिक शिक्षा कहां पूर्ण हुई।
1.4.पंडित लवलेश महाराज जी के प्रारंभिक गुरु कौन हैं?
1.5.क्या बचपन में होते थे कोई चमत्कार?
1.6.बचपन से ही भगवान के प्रति आस्था भाव कैसे जगा।
1.7.महाराज जी ने गुरु दीक्षा कहां से ग्रहण की?
1.8.बालाजी की प्रेरणा से मंदिर की नवीन स्थापना कैसे हुई?
1.9.दरवार लगना कब से प्रारंभ हुआ?
2.1.धाम की महिमा किस प्रकार से फैली?
2.2.धाम की मूर्ति में संदेह की भावना किस प्रकार से जगी?
2.3.प्रेत दरबार कब से प्रारंभ किया गया?
2.4.वर्तमान समय में धाम में दरबार लग रहा है या नहीं?
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जन्म स्थान और पैतृक जन्म स्थान:
पंडित लवलेश तिवारी महाराज जी का जन्म मध्य प्रदेश के जिला छतरपुर, विश्व पर्यटन नगरी,थाना खजुराहो के एक छोटे से ग्राम लखेरी में हुआ था।इनका पैतृक जन्म स्थान लवकुश नगर तहसील के अंतर्गत मरहा ग्राम है। महाराज जी के पिता जी का स्वर्गवास बचपन में ही हो गया।
पंडित तिवारी जी का परिवार:
पिता का साया बचपन में ही महाराज जी से उठ गया। महाराज जी ने बताया कि मेरे परिवार मेरी मां, तीन बहने और अकेला में हूं। यह जिक्र उन्होंने तब किया जब मां ने उन्हें छतरपुर स्थित विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जा रहे थे। माता जी ने कहा था, कि परिवार में हम लोग महाराज जी के बगैर नहीं रह सकते। माता जी क्यों ना कहें परिवार के संचालन का कार्यभार उनके पिताजी के बाद उन्ही के ऊपर था।
बचपन का समय:
महाराज जी के बचपन का समय छोटी उम्र तक, जन्म स्थान ग्राम लखेरी में ही गुजरा। पिताजी का स्वर्गवास होने के तत्पश्चात शिक्षा ग्रहण करने के लिए महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ विद्यालय छतरपुर मध्य प्रदेश जाना पड़ा। विद्या पीठ विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते समय बचपन के मित्र पन्ना, टीकमगढ़, शाहगढ़ आदि जिलों से थे।
पंडित लवलेश तिवारी महाराज जी की प्रारंभिक शिक्षा:
महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ विद्यालय छतरपुर मध्य प्रदेश से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात,प्रेम रामायण पीठाधीश्वर श्री वेदांती आश्रम चित्रकूट धाम से पूरी की। चित्रकूट धाम के बाद शिक्षा ग्रहण करने के लिए श्री सुदामा कुटी वृंदावन धाम चले गए।
पंडित लवलेश तिवारी महाराज जी के प्रारंभिक गुरु:
छतरपुर स्थित विद्यालय में उनके प्रारंभिक गुरु पंडित श्री ओम प्रकाश शर्मा जी, पंडित श्री टीकाराम शास्त्री जी महाराज, पंडित श्री शुक्ला जी और परम पूज्य श्री उपाध्याय जी मैहर से उनके प्रारंभिक गुरु थे और इन गुरुओं का महाराज जी के ऊपर आशीर्वाद बना रहा।
बचपन समय में नहीं महसूस हुए कोई भी चमत्कार:
पीठाधीश्वर महाराज जी ने बताया कि मुझे बचपन में किसी भी प्रकार के चमत्कारों का अनुभव नहीं हुआ,लेकिन जब से मंदिर में बालाजी सरकार की प्राण प्रतिष्ठा के बाद तीन व्यक्ति मेरे पास आए और उन्होंने अपनी समस्या बताई। इसके बाद हमने उनको विश्वास दिलाया कि, आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी। अगरबत्ती बालाजी सरकार के नाम की लगा दीजिए और भभूति पीड़ित के माथे पर लगा दीजिए। बालाजी के आशीर्वाद से उनकी मनोकामना पूर्ण हो गई। तब से महाराज जी के मन में विश्वास जगा की बालाजी का साक्षात आशीर्वाद धाम में लोगों की समस्या समाधान के लिए बना है।
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बचपन से ही पूजा पाठ करने का मार्गदर्शन:
महाराज जी ने बताया पिताजी एक कर्मकांडी ब्राह्मण थे। ब्राह्मण होने के नाते हमें बचपन में गणेश वंदना इत्यादि करने की प्रेरणा देते थे और पिताजी का पांडित्य आशीर्वाद या प्रेरणा महाराज जी के लिए मीठा फल का जरिया बना।
महाराज जी ने गुरु दीक्षा चित्रकूट धाम से ग्रहण की:
महाराज जी द्वारा बताया गया कि, गुरु दीक्षा या वैष्णवी दीक्षा परम पूजनीय महाराज रामकृष्ण दास वेदांती महाराज चित्रकूट धाम से ग्रहण की। परम पूजनीय वेदांती महाराज जिनका भगवान के श्री चरणों में गमन भले ही हो गया,लेकिन उनका प्रत्यक्ष आशीर्वाद महाराज जी के ऊपर बना हुआ है। यदि पैतृक गुरु की बात करें तो,पंडित श्री मनीषा कृष्ण शास्त्री जी महाराज उनके पैतृक गुरु हैं।
बालाजी की प्रेरणा से नवीन मंदिर की स्थापना:
महाराज जी ने बताया कि कुछ समय पहले में दिल्ली में रुक रहा था। तभी बालाजी सरकार ने प्रेरणा दी,कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कराओ बाला जी सरकार की प्राण प्रतिष्ठा कराने के लिए मेरे परिवार की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। प्रयागराज से बालाजी सरकार की मूर्ति लाए और हजारिया भरवा कर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई।
दरबार की ख्याति फैलने का कारण:
मंदिर में बालाजी सरकार की प्राण प्रतिष्ठा के बाद तीन व्यक्ति मेरे पास आए और उन्होंने अपनी समस्या बताई। इसके बाद हमने उनको विश्वास दिलाया कि, आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी। अगरबत्ती बालाजी सरकार के नाम की लगा दीजिए और भभूति पीड़ित के माथे पर लगा दीजिए। बालाजी के आशीर्वाद से उनकी मनोकामना पूर्ण हो गई। तब से महाराज जी के मन में विश्वास जगा की बालाजी का साक्षात आशीर्वाद धाम में लोगों की समस्या समाधान के लिए बना है। आज हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर बाला जी सरकार का माथा टेकने के लिए आते हैं।
दिव्य दरबार का आयोजन:
महाराज जी ने बताया मुझे सबसे पहले बालाजी का आदेश मिला कि, मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवा कर पूजा अर्चना कीजिए। मैंने कभी नहीं सोचा था,कि यहां पर दरबार लगेगा। बालाजी की अनुकंपा से यहां पर दिव्य दरबार और प्रेत दरवार लगाना प्रारंभ किया। भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।देश भर के कौने- कौने से ब्रह्मेश्वर धाम सरकार का माथा टेकने आते है।
वर्तमान समय में धाम में लग रहा दरबार:
किन्ही कारणों से ब्रह्मेश्वर धाम में प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 24/08/22 दिव्य दरबार एवं प्रेत दरबार का आयोजन नहीं किया जा रहा था। पीठाधीश्वर महाराज जी का कहना है, कि बालाजी सरकार का आदेश मिलते ही एक बार दोबारा दरबार का आयोजन किया जाएगा। हनुमान जी महाराज के दरबार पर सभी लोग माथा टेकेंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
Q. लवलेश तिवारी जी महाराज से कैसे मिला जा सकता है?
Ans. महाराज से मिलने के लिए आपको ब्रह्मेश्वर धाम जाना पड़ेगा।
Q. ब्रह्मेश्वर धाम का कांटेक्ट नंबर क्या है?
Ans. फिलहाल में ब्रह्मेश्वर धाम सरकार द्वारा कोई कांटेक्ट नंबर जारी नहीं किया गया है।
Q. राजधानी दिल्ली से ब्रह्मेश्वर धाम की दूरी क्या है?
Ans. राजधानी दिल्ली से ब्रम्हेश्वर धाम की दूरी 688 किलोमीटर है।
Q. राजधानी भोपाल से रामेश्वर धाम की दूरी क्या है?
Ans.राजधानी भोपाल से रामेश्वर धाम की दूरी 380 किलोमीटर है।
Conclusion: हमें और हमारी टीम को आशा रहेगी कि,आपको ब्रह्मेश्वर धाम सरकार से जुड़े सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त हो गई होगी। ब्रह्मेश्वर धाम से जुड़ी हर खबर पाने के लिए आप हमारी साइड पर दोबारा विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद।
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जय ब्रह्मेश्वर धाम।जय बालाजी महाराज।
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