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Saagban ki kheti madhya pradesh Sagon ki kheti Chhatarpur mp Sagon ki kheti (सागोन की खेती छतरपुर एमपी,छतरपुर बागवानी की खेती)


दोस्तों नमस्कार आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे भारत में किसानों का साथ देने वाली एक ऐसी लकड़ी के बारे में जो किसानों की किस्मत बदल के रख देगी। हम बात करने वाले हैं सागौन(sagon) की खेती के बारे में आज के समय में भारतवर्ष का बुंदेलखंडी एरिया भयंकर सूखे से गुजर रहा है जैसा कि हम सभी को पता ही है। हम आपको बताएंगे बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों में सागौन(sagon) की खेती किस प्रकार से कर सकते हैं और क्या क्या जरूरत हमको पड़ने वाली है।

Table of content:-

1.1- सागवान के बारे में-

1.2- भारत में सागौन की खेती के प्रकार-

1.3- सागोन खेती के लिए जलवायु-

1.4- सागोन खेती के लिए मिट्टी-

1.5- जमीन की तैयारी किस प्रकार की जाती-

1.6- रोपाई का समय और तरीका-

1.7- खरपतवार नियंत्रण-

1.8- सिंचाई पद्धति-

1.9- फसल की कटाई-

2.1- सागौन के पेड़ से कमाई-

2.2- Conclusion-

सागवान के बारे में-(About teak-)

सागौन के पेड़ का साइंटिफिक नाम टैक्टोना ग्रैंडिस है। सागौन का पेड़ से बहुत ही हल्का होने के साथ  मजबूत लकड़ी तैयार होती है। यह लकड़ी बहुत लंबे समय तक खराब भी नहीं होती। जिसके चलते सागौन के पेड़ से तैयार लकड़ी को भारी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। सागौन के पेड़ से फर्नीचर जैसी जरूरत की चीजें बनाई जाती है। जैसा कि हम सभी लोग जानते ही हैं। आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सागौन की पैदावार के मुकाबले डिमांड बहुत अधिक है।

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भारत में सागौन की खेती के प्रकार-(Types of teak cultivation in India)


सागवान की कई उन्नत किस्में मौजूद हैं।जिससे किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते हैं और कर रहे हैं। पैदावार के मामले में यह सभी किस्में लगभग समान होती है। इन्हें अलग-अलग जलवायु के हिसाब से उगाया जाता है। सागोन की कुछ प्रमुख किस्में दक्षिणी और मध्य अमेरिका सागवान, पश्चिमी अफ्रीकी सागवान, अदिलाबाद सागवान, नीलांबर सागवान, गोदावरी सागवान की प्रजाति है,जिसकी खेती किसान भाई बिना किसी परेशानी के कर सकते हैं। 

सागोन खेती के लिए जलवायु-(Climate for teak cultivation)

सागवान की खेती के लिए 10 से 45 डिग्री सेल्सियस का तापमान बेहतर रहता है।बात करें वर्षा की तो 1225- 1000 एमएम की बारिश सागौन(sagon) की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है।

सागोन खेती के लिए मिट्टी-(Soil for teak cultivation)

बढ़िया विकास के लिए बढ़िया निकास वाली उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके लिए मिट्टी का पीएच 6.5 या इससे ज्यादा होना चाहिए। मिट्टी का पीएच 6.5 से कम होने पर फसल के विकास पर असर पड़ सकता है। वैसे तो किसान भाई बंजर भूमि से लेकर हर प्रकार की भूमि में कर सकते है।

जमीन की तैयारी किस प्रकार की जाती-(How is the land prepared)

मिट्टी को भुभुरा बनाने के लिए खेत की दो से तीन बार जुताई कर लें। मिट्टी को समतल करने के बाद खेत को इस प्रकार से तैयार करना चाहिए, कि उसमें खड़ा पानी ना रुक सके। नए पौधे रोपाई के कुछ दिन पहले 1.5x 2x2 (1.5 फीट गहरा,2 फीट चौड़ा) गड्ढा खोद लेना चाहिए। खोदे गड्ढे में सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ कीटनाशक डालें।

रोपाई का समय और तरीका-(Printing time and method)

सागवान की रोपाई के लिए मानसून से पहले का समय सबसे अनुकूल माना जाता है। हम बात कर लेते हैं,पौधों से पौधे किस प्रकार से लगाना चाहिए। सागवान के पौधे को 8 से 10 फीट की दूरी पर लगाना उचित रहेगा। ऐसे में अगर किसी किसान के पास 1 एकड़ का खेत है तो वह उसमें करीब 500 सागौन के पेड़ लगा सकता है।

खरपतवार नियंत्रण-(weed control)

पहले 3 वर्षों में खेत को खरपतवार मुक्त करना आवश्यक है। नियमित समय पर गुड़ाई करें। पहले साल में तीन और दूसरे वर्ष में दो बार पेड़ के पास की मिट्टी की गुड़ाई करें। तीसरे वर्ष में एक बार गुड़ाई जरूर करें।

सिंचाई पद्धति-(irrigation system)

मानसून के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। सिंचाई गर्मी के महीने में आवश्यकता अनुसार करें ।आवश्यकता अनुसार सिंचाई करने के साथ काफी हद तक पैदावार में सुधार आता है। अतिरिक्त सिंचाई से पानी के धब्बे और फंगस बढ़ने की संभावना रहती है। इसलिए जरूरत के हिसाब से गर्मियों के दिनों में 15-20 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए।

फसल की कटाई-(harvest)

जब पेड़ 10-12 साल बाद परिपक्व हो जाए तब आपको पेड़ की कटाई करवानी चाहिए। आप खुद समझदार है, कि पेड़ कब काटना है।

सागौन की कटाई में ध्यान रखने वाली बातें-

काटे जाने वाले पेड़ पर चिन्ह लगाएं और सीरियल नंबर लिखें।

मुख्य क्षेत्रीय वन अधिकारी के पास इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराएं।

क्षेत्रीय वन विभाग जांच के लिए अपने अधिकारी भेजकर रिपोर्ट तैयार करवाएगा।

काट-छांट या कटाई के बारे में स्थानीय वन अधिकारी को रिपोर्ट भेजना।

अनुमति मिलने के बाद काट-छांट या कटाई की प्रक्रिया शुरु की जाती है।

सागौन के पेड़ से कमाई-(Earning from teak tree)

सागवान के पेड़ से किसान चाहे तो करोड़ों में कमाई कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर 1 एकड़ में किसान अगर 500 सागवान के पेड़ लगाता है, तो 12 वर्ष के बाद एक एकड़ के पौधों को करीब एक करोड़ रुपए में बेचा जा सकता है।(आज के rate के हिसाब से) 12 साल के सागवान के पेड़ की कीमत 25000 से ₹30000 तक है और समय के साथ इसकी कीमत में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है। इस हिसाब से किसान 500x 25000=12500000 और 500x 30000=15000000 1 एकड़ की खेती से रुपए की कमाई आराम से की जा सकती है और किसान चाहे तो उसमें अन्य प्रकार की फसलें भी ले सकते हैं

Conclusion:-

दोस्तों हमें और हमारी टीम को आशा है,कि आपको सागवान की खेती से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी मिल गई होगी। यदि यह जानकारी आपके लिए सुविधाजनक लगी हो,तो कमेंट सेक्शन में कमेंट करके जरूर बताएं और अन्य सुझाव देने के लिए भी कमेंट करना ना भूलें।



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