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जटाशंकर धाम की महिमा ( jatasankar dhaam ki mahima)

बुंदेलखंड का केदार धाम जटाशंकर धाम -

मध्य प्रदेश स्थित छतरपुर जिले के तहसील बिजावर में बनी विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीचो-बीच स्थित जटाशंकर धाम बुंदेलखंड का केदारनाथ कहलाता है। धाम अद्भुत पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ प्राकृतिक सुंदरता के लिए शंकर भगवान की कृति स्थल का वर्णन कर रहा है।

जटाशंकर धाम की ख्याति, गुफाओं,कंदरा,सेल एवं जड़ी बूटियों से होकर बहने वाले जल से बने झरने के रूप में कुंड मैं स्नान करने के बाद चर्म रोग जैसी बीमारियों से मुक्ति दिलाने की मान्यता के साथ जुड़ी हुई है। प्राकृतिक रूप से निर्मित दो कुंडी में भरे हुए गर्म एवं ठंडे जल में स्नान करने लोगों को चर्म रोग जैसी बीमारियों से मिलता है निजात।

Table of content-

1-जटाशंकर धाम कहां पर स्थित है?

2-जटाशंकर धाम की उत्पत्ति कब हुई?

3-धाम की ख्याति एवं महिमा उजागर किस।           प्रकार हुई?

4-वे कौन सी बातें हैं जो जटाशंकर धाम में भक्तों     को खींचकर लाती हैं?

5-विश्व पर्यटक नगरी खजुराहो एवं छतरपुर से         जटाशंकर धाम की दूरी क्या है?

6-जटाशंकर धाम की यात्रा किन साधनों द्वारा जा     सकती हैं?

7-धाम में ज्यादा भक्तों की संख्या कब होती है         एवं यात्रा कब सुगम होती है?

8-अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? 

जटाशंकर धाम विश्व पर्यटक नगरी खजुराहो से 50-55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित- 




उदाहरण के तौर पर देखें तो -महाराजा छत्रसाल संग्रहालय, विश्व पर्यटक नगरी खजुराहो, बागेश्वर धाम सरकार, जटाशंकर धाम, भीमकुंड, कुटनी बांध, ranguwa बांध एवं पन्ना राष्ट्रीय उद्यान आदि स्थानों पर पर्यटक घूमने के लिए आ सकते हैं।

जटाशंकर धाम की उत्पत्ति -



जटाशंकर धाम स्थित शिलालेखों के मुताबिक धाम के  निर्मित होने के कोई दस्तावेज नहीं है। प्राचीन काल से ऐसी मान्यता है,कि देवासुर संग्राम में भगवान शंकर जरा दैत्य को मार कर यहां पर आकर ध्यान मग्न हो गए। इसके अलावा यह भी मान्यता है, कि भगवान शंकर को पाने के लिए माता गौरा ने इन गुफाओं में तपस्या की और भगवान शिव ने प्रकट होकर दर्शन दिए।

चरवाहे की समस्या निदान के बाद धाम की ख्याति फैली -



जटाशंकर धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं अरविंद अग्रवाल का कहना है, कि एक चरवाहे को कुष्ठ रोग था और वह अपनी बकरियों को लेकर के लिए यहां आया करता था। मान्यता है कि 1 दिन उस चरवाहे की बकरियां गुम गई और वह अपनी बकरियों को ढूंढते हुए उसे इन जंगलों में प्यास लगी और प्यास बुझाने के लिए उसे यहां पर दो झरने दिखाई दिए। चरवाहे ने इस झरने के रूप में स्थित कुंड में अपनी प्यास बुझाई और पसीने से लिप्त अपने शरीर को आराम दिया। कुंड में स्नान करने के बाद भगवान शिव की महिमा उजागर हुई और उस चरवाहे को कुष्ठ रोगों से मुक्ति मिली।

चरवाहा प्रतिदिन वहां पर स्नान और पूजा अर्चना करने लगा। चरवाहे का यह प्रतिदिन का नियम बन गया। धीरे-धीरे गांव वालों एवं क्षेत्रवासियों में खबर फैली। इस प्रकार यह धाम जटाशंकर कहलाए।

जटाशंकर धाम के लिए यातायात के सभी साधन उपलब्ध है -




देश के किसी भी कोने से यात्रा करने के लिए खजुराहो हवाई अड्डा की दूरी जटाशंकर धाम से 50 से 55 किलोमीटर है। श्रद्धालु रेल यात्रा भी कर सकते हैं। इसके अलावा बस एवं निजी साधन द्वारा यात्रा कर सकते हैं।

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर गौरा शिव विवाह बेहद आकर्षण का केंद्र -

धाम मैं अमावस्या, पूर्णिमा, सोमवार एवं महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भक्तों की संख्या बहुत अधिक देखने को मिलती है। जटाशंकर धाम में बुंदेलखंड के अलावा भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु शंकर भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न -

1. जटाशंकर धाम की छतरपुर से दूरी कितनी है?

उत्तर -धाम की दूरी छतरपुर से 50 से 55 किलोमीटर है।

2. जटाशंकर धाम की बागेश्वर धाम से दूरी                कितनी है?

उत्तर -जटाशंकर धाम की बागेश्वर धाम से दूरी 45 से 50         km बीच में है।

3. जटाशंकर धाम की बिजावर से दूरी कितनी है?

उत्तर -धाम की दूरी बिजावर से महज 4 से 5 किलोमीटर           है।

4. छतरपुर में कौन से स्थान है जहां पर सैलानी        घूम सकते हैं?

उत्तर - महाराजा छत्रसाल संग्रहालय, विश्व पर्यटक नगरी खजुराहो, बागेश्वर धाम, जटाशंकर धाम, भीमकुंड,rangava डैम एवं kutni डैम।

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