आज हम जानेंगे, कि sbi life insurance company (एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी) निजी संस्था या फिर गवर्नमेंट की कोई संस्था है। एक उदाहरण के माध्यम से हम जानने की कोशिश करेंगे,कि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस सरकार से किसी प्रकार से नाता रखती है या नहीं।
Table of content:-
1.1. एक घटित घटना का उदहारण
1.2.sbi life insurance कंपनी के खिलाफ दायर याचिका
1.3.याची द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का कारण
1.4.याची के वकील ने कैसे किया खुलासा
1.5. याची के मुख्य पक्ष - कार
1.6.conclusion
1.7.अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
एक घटित घटना का उदहारण:
एक घटित घटना के उदाहरण के तौर पर article में पूर्ण रूप से लिखा गया है।इसके माध्यम से हम सभी लोग जान सकेंगे,कि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस company private संस्था या फिर goverment की संस्था है।
निजी क्षेत्र की एक policy company के कथित froad के आरोप का एक मामला शुक्रवार के दिन highcort की लखनऊ पीठ के सामने आया था।
sbi life insurance कंपनी के खिलाफ दायर याचिका के याची:
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के retired scientist डॉ. वीरेन्द्र पाल कपूर (70) ने आरोप लगाया कि, company ने उनसे 50,000rs रुपये जमा करवाकर 5 साल बाद मात्र 248rs लौटाए व परिपक्वता राशि में कटौती का ब्योरा भी नहीं दिया।
याची द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका :
न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति अशोक पाल सिंह की खंडपीठ ने retired scientist (रिटायर्ड वैज्ञानिक) की रिट पर (sbi life insurance company) एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को notice भेजकर 4 हफ्ते में जवाब तलब किया था।
साथ ही रिट विचारार्थ मंजूर कर ली गई थी। याचिका में पक्षकार sbi को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है, कि sbi life insurance को अपना लोगो व शाखा आदि का नाम इस्तेमाल करने की इजाजत न दी जाए।
याची का कहना था,कि वर्ष 2007 में उसने प्रतिष्ठित bank के नाम से जुड़ी sbi life insurance company की ulip योजना में 50,000 रुपये इस भरोसा के साथ जमा किए थे, कि sbi व एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी एक ही निकाय है।
याची के वकील ने कैसे किया खुलासा:
याची के वकील ध्रुव कुमार के मुताबिक, वर्ष 2012 में rti (आरटीआई) के जरिए पता चला कि sbi life insurance limited private company (एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस लि. प्राइवेट कंपनी) है। आरोप लगाया, कि इस झांसे में आकर याची ने 50,000rs जमा किए थे।
19 जनवरी 2012 को policy मेच्योर होने पर याची को सिर्फ 248rs की रकम लौटाई गई।
पता करने पर sbi life ने याची को बताया कि उसकी रकम पर कई चार्जेस लगाए गए हैं, लेकिन यह नहीं बताया गया कि इन शुल्कों में कितनी रकम की कटौती की गई है। आखिर में बुजुर्ग scientist ने थकहार कर highcort की शरण ली।
याची के मुख्य पक्ष - कार :
याचिका में केंद्र सरकार, बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के chaimen, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन समेत एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि. को मुख्य कार्यपाल अफसर (सीईओ) के जरिए पक्षकार बनाया गया था।
Concluson:
दोस्तों इस post के माध्यम से हमने आपको एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के बारे में डाउट को clear किया है। एक बार फिर से बता दें, कि sbi goverment की एक संस्था है,जबकि sbi life insurance private company है। हमारी team को आशा रहेगी, कि आप दोबारा इस site पर visit करके comment section में अपने सुझाव जरूर साझा करेंगे।
अक्सर पूछे गए प्रश्न:
Q.एसबीआई जीवन बीमा क्या(sbi life insirance) है?
Q.जीवन बीमा कितने प्रकार के होते हैं?
Q.एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस में क्या फायदा?
Q.Sbi सरकारी है या प्राइवेट संस्था?
Q.Sbi life insurance में कितना व्याज मिलता है?
Q.Lic सरकारी संस्था है या प्राइवेट:
Ans.यह एक सरकारी निगम है।भारतीय जीवन बीमा निगम।इसकी स्थापना 1 Sept 1956 में हुई थी।
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