ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का 98 साल की आयु में दिन रविवार को निधन हो गया। शंकराचार्य जी को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। शंकराचार्य काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। दिन सोमवार शाम 5 बजे उन्हें समाधि दी जाएगी।
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स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती देश की आजादी के आंदोलन में जेल भी गए थे। उन्होंने प्रभु श्री राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। उन्हें कांग्रेस पार्टी का कट्टर समर्थक भी कहा जाता था। समय-समय पर उनके बयान जबरदस्त तरीके से सुर्खियों रहा करते थे।
आइए, जानते हैं शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से जुड़े चंद किस्से,कहानियां...।
काशी से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का विशेष लगाव वा जुड़ाव था। यहीं से उन्होंने अपनी शिक्षा ग्रहण की। देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम के दौरान काशी की जेल में भी वह बंद रहे थे। यहां केदार घाट में उनका आश्रम श्रीविद्या मठ भी है।
🌎हम यह जानेंगे:
🪐+1.1. साईं पूजा और इस्कॉन(अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ) का करते थे विरोध
🪐+1.2. जबलपुर में एक पत्रकार को जड़ दिए थे थप्पड़
🪐+.1.3. कहा था- शनि एक पाप ग्रह हैं
🪐+1.5. 2021 में rss और bjp पर निशाना साधा
🪐+1.6. स्वामी वासुदेवानंद से जगजाहिर था विवाद
June, 2014 में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि, साईं पूजा हिंदू धर्म के खिलाफ है। साईं भक्तों को भगवान राम की पूजा, गंगा में स्नान और हर-हर महादेव का जाप नहीं करना चाहिए। साईं बाबा को उन्होंने महाराष्ट्र में सूखे का कारण भी बताया था। कहते थे कि, साईं बाबा फकीर और अमंगलकारी थी। उनकी पूजा करने पर आपदा आती है।
इसके अलावा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती इस्कॉन के खिलाफ भी रहते थे। वह कहते थे कि इस्कॉन भारत में कृष्ण भक्ति की आड़ में धर्म परिवर्तन करना चाहते है। यह अंग्रेजों की एक चाल है कि, वह सनातन धर्म का ज्ञान लेकर हिंदुओं को ही दीक्षा देते हैं।
🌎जबलपुर में एक पत्रकार को जड़ दिए थे थप्पड़:
January, 2014 में जबलपुर में एक पत्रकार ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से पूछा था कि, नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल में से बेहतर प्रधानमंत्री कौन से हैं। कहा जाता है कि, इस पर वह भड़क गए थे और पत्रकार को थप्पड़ जड़ दिए थे। इसे लेकर विवाद हुआ, तो कांग्रेस शंकराचार्य के बचाव में उतर आई थी।
उस दौरान मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने कहा था कि, साधु-संतों से राजनीतिक सवाल नहीं किया जाना चाहिए था। उनसे धार्मिक सवाल करना चाहिए। शंकराचार्य स्वरूपानंद जी को गुस्सा नहीं आता है। उनसे राजनीतिक सवाल मत करिए। उन्होंने थप्पड़ नहीं मारा था।
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🌎कहा था- शनि एक पाप ग्रह हैं:
महिलाओं को महाराष्ट्र के शिंगणापुर शनि मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने पर कहा था कि, शनि एक पाप ग्रह है। उनकी शांति के लिए लोग प्रयास करते हैं। महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिलने पर इतराना नहीं चाहिए। शनि पूजा से महिलाओं का हित नहीं होगा। उनके प्रति अपराध और अत्याचार में और बढ़ोतरी ही होगी। शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट को अदालत की कार्रवाई का डर दिखाकर मंदिर में महिलाओं को अनुमति दिलाकर उनसे जबरन अधर्म कराया गया है।
🌎2021 में rss और bjp पर निशाना साधा:
अयोध्या श्रीराम मंदिर की जमीन को लेकर 2021 में विवाद हुआ तो, शंकराचार्य जी ने rss और bjp पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, ''सरकार की तरफ से ट्रस्ट बनाया गया है। उसमें भ्रष्टाचारियों को शामिल कर लिया गया है। चंपत राय कौन थे, यह पहले कोई नहीं जानता था। लेकिन, उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट में सर्वेसर्वा बना दिया गया।''
शंकराचार्य स्वामी जी ने मंदिर के शिलान्यास पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि, श्रीराम मंदिर निर्माण का शिलान्यास शुभ मुहूर्त में नहीं किया गया। मंदिर का शिलान्यास बेहद ही अशुभ मुहूर्त में किया गया है। इससे पहले उन्होंने नाम लिए बगैर ही मोदी सरकार पर भी गोहत्या बंद ना कराने को लेकर निशाना भी साधा था।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का काशी से सदैव विशेष लगाव रहा। देश के किसी कोने में भले ही वह रहें, हो लेकिन काशी और यहां के वासियों का कुसलमंगल वह जरूर पूछते थे।
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🌎स्वामी वासुदेवानंद से जगजाहिर था विवाद:
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का विवाद जगजाहिर हुआ था। वासुदेवानंद सरस्वती की ओर से कहा जाता था कि, स्वरूपानंद ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य नहीं है। वहीं, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की ओर से कहा जाता था कि, वासुदेवानंद सरस्वती को अपने नाम के साथ शंकराचार्य लिखने का अधिकार नहीं है। मामला कोर्ट तक भी गया। कुंभ और अर्धकुंभ के दौरान दोनों ही पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी भी करते रहते थे।
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