देश को प्रभावित करने वाली जल संकट की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार नदियों से नदियों को जोड़ने वाली एक महत्वाकांक्षी परियोजना लेकर आई थी। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत केन-बेतवा लिंक परियोजना भारत में कार्यान्वित होने वाली नदियों को जोड़ने की पहली परियोजनाओं में से एक होगी। इस परियोजना का उद्देश्य एमपी और यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र में 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि के लिए वार्षिक सिंचाई प्रदान करना, पेयजल आपूर्ति को बढ़ाना और 103 मेगावाट की पानी से बिजली उत्पन्न करना है।
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- 1.1.केंद्रीय बजट में परियोजना के लिए स्वीकृति
- 1.2.राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के बीच में समझौता
- 1.3.दूसरी बैठक में हुई अहम चर्चाएं
- 1.4.विस्थापित होने वाले परिवारों को मुआवजा संबंधी आश्वासन
- 1.5.केन बेतवा लिंक परियोजना का संक्षिप्त विवरण
- 1.6.दो चरणों में पूर्ण किया जाएगा परियोजना संबंधी काम
- 1.7.केन बेतवा नदियों को जोड़ने की परियोजना घटनाक्रम
- 1.8.केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए नक्शा
- 1.9.परियोजना के लाभ और प्रभाव
- 2.1.परियोजना पूर्ण होने से इन जिलों को मिलेगा लाभ
- 2.2.केन बेतवा लिंक परियोजना की अनुमानित लागत
- 2.3.परियोजना में पर्यावरण को लेकर चिंता
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- केंद्रीय बजट में परियोजना के लिए स्वीकृति:
कैन बेतवा लिंक नहर परियोजना देश भर में नदियों को जोड़ने वाली 30 परियोजनाओं में से पहली परियोजना है। 1 फरवरी, 2022 को पेश किए गए केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन नदियों को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए के भारी-भरकम बजट के आवंटन की घोषणा भी की।
यह कदम इस आगामी बुनियादी ढांचा परियोजना को एक बड़ा बढ़ावा दिया, जिससे 62 लाख लोगों को पेयजल, 103 मेगावाट पनबिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ करीब 9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलने की उम्मीद की गई है। केन बेतवा लिंक परियोजना से 13 जिलों में फैले सूखे से प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र को लाभ मिलेगा। आठ साल में इस परियोजना का काम पूरा किया जाना है।
- राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के बीच में समझौता:
March 2021 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों ने परियोजना को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
8 दिसंबर, 2021 को कैबिनेट(केंद्र सरकार) ने केन से बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना की फंडिंग और कार्यान्वयन को मंजूरी दी, जिसे करीब 44,605 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाना है। कैबिनेट ने परियोजना के लिए 39,317 करोड़ रुपये के केंद्रीय समर्थन को भी मंजूरी दी, जिसमें 36,290 करोड़ रुपये का अनुदान और 3,027 करोड़ रुपये का लोन शामिल किया गया है।
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- दूसरी बैठक में हुई अहम चर्चाएं:
केन बेतवा interlinking प्रोजेक्ट की दूसरी बैठक 20 जुलाई, 2022 को हुई, जिसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई और बड़े फैसले लिए गए, जैसे योजना और तकनीकी मामलों की समीक्षा और केबीएलपी को राय देने के लिए तकनीकी सलाहकार समूह की स्थापना, और ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप काउंसिल की स्थापना करके केन बेतवा interlinking प्रोजेक्ट के लिए लैंडस्केप प्रबंधन योजना (एलएमपी) और पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) का कार्यान्वयन करना।
- विस्थापित होने वाले परिवारों को मुआवजा संबंधी आश्वासन:
इसके अलावा, जल संसाधन, मछुआरा कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री तुलसीराम सिलावट के साथ हाल ही में हुई एक बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नदियों को जोड़ने की परियोजना पर जल्द काम शुरू करने का आश्वासन दिया गया है,जिसका काम विस्थापित होने वाले परिवारों को मुआवजा दिलाने संबंधी प्रक्रिया शुरू हो गई है।
- केन बेतवा लिंक परियोजना का संक्षिप्त विवरण:
केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) npp के प्रायद्वीपीय नदियों के विकास के तहत नियोजित 16 समान परियोजनाओं में से नदियों को जोड़ने वाली पहली परियोजना है। यह यमुना नदी की सहायक नदियों – मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में केन नदी और उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी – को जोड़ने का काम करेगी।
एनपीपी का मुख्य उद्देश्य जल संकट(बाढ़ एवम सूखा) की समस्या से निपटने के लिए अतिरिक्त पानी वाले नदी के बेसिन से कम पानी वाले बेसिन तक पानी पहुंचाना है। एनपीपी में दो घटक शामिल हैं – हिमालयी नदियों का विकास और प्रायद्वीपीय नदियों का विकास।
केन बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना, जिसका निर्माण कार्यक्रम आठ वर्षों के लिए निर्धारित किया गया है, को दो चरणों में क्रियान्वित किया जाना है।
- दो चरणों में पूर्ण किया जाएगा परियोजना संबंधी काम:
पहला चरण: प्रथम चरण में ढोढन बांध परिसर एवं उससे जुड़े कार्यों जैसे निम्न स्तरीय सुरंग, उच्च स्तरीय सुरंग, 221-किलोमीटर लंबी केन-बेतवा लिंक नहर एवं बिजलीघर बनाए जाएंगे।
दूसरा चरण: दूसरे चरण में केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत लोअर ऑर बांध, बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना और कोटा बैराज के लिए विकास कार्य शुरू किए जाएंगे।
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- केन बेतवा नदियों को जोड़ने की परियोजना घटनाक्रम:
- August 1980:
NPP तैयार किया गया।
August 2005:
परियोजना के लिए DPR तैयार करने के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- April 2010:
राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) ने केबीएलपी के पहले चरण के लिए DPR को पूरा किया जाएगा।
- January 2014:
एनडब्ल्यूडीए ने परियोजना के द्वितीय चरण की डीपीआर पूरी की।
- September 2014:
आईएलआर (इंटरलिंकिंग ऑफ़ रिवर्स) कार्यक्रम को लागू करने के लिए नदियों को आपस में जोड़ने को लेकर विशेष समिति का गठन किया गया।
- April 2015:
mowr नदी विकास और गंगा कायाकल्प द्वारा नदियों को जोड़ने के लिए एक task force का गठन किया गया।
- March 2021:
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकारों ने केन बेतवा नदियों को जोड़ने की परियोजना को लागू करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
- December 2021:
कैबिनेट ने परियोजना की फंडिंग और कार्यान्वयन को मंजूरी दी।
- Febuary 2022:
सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में इस परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए के बजट आवंटन की घोषणा की।
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- केन बेतवा लिंक परियोजना: संक्षिप्त विवरण:
केन-बेतवा लिंक नहर परियोजना (केबीएलपी) एनपीपी के प्रायद्वीपीय नदियों के विकास के तहत नियोजित 16 समान परियोजनाओं में से नदियों को जोड़ने वाली पहली परियोजना है। यह यमुना नदी की सहायक नदियों – मध्य प्रदेश के पन्ना छतरपुर जिले में केन और उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी – को जोड़ेगी।
NPP का मुख्य उद्देश्य जल संकट की समस्या से निपटने के लिए अतिरिक्त पानी वाले नदी के बेसिन से कम पानी वाले बेसिन तक पानी पहुंचाना है। NPP में दो घटक शामिल हैं – हिमालयी नदियों का विकास और प्रायद्वीपीय नदियों का विकास।
- केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए नक्शा:
केन और बेतवा नदी को जोड़ने वाली केन बेतवा लिंक परियोजना, जैसा कि नक़्शे में दिखाया गया है, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों को संग्रहित करेगी।
- परियोजना के लाभ और प्रभाव:
सरकार भारत में जल संसाधनों के सतत विकास की ओर से नदियों को जोड़ने के कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में देखती है। जल संसाधनों के बेहतर उपयोग और बुंदेलखंड क्षेत्र के कई हिस्सों में जल संकट को दूर करने के संदर्भ में कई लाभ प्रदान करने के लिए केन बेतवा लिंक परियोजना को एक बहुउद्देश्यीय परियोजना के रूप में नियोजित किया गया है।
बुंदेलखंड क्षेत्र बार-बार सूखे की स्थिति का सामना करता है, जिसने क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रभावित किया है। इसके अलावा, कठोर चट्टान और सीमांत जलोढ़ इलाके के कारण यह क्षेत्र भूजल में समृद्ध नहीं है। इसलिए यह परियोजना मानसून के दौरान बाढ़ के पानी के उपयोग में मदद करेगी और कम बारिश वाले महीनों के दौरान पानी की उपलब्धता को स्थिर करेगी, खास तौर पर सूखे के वर्षों में।लगातार कई वर्षो से सूखा पड़ रहा है।
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- परियोजना पूर्ण होने से इन जिलों को मिलेगा लाभ:
केन- बेतवा नदी को जोड़ने वाली परियोजना वार्षिक सिंचाई और पानी से बिजली उत्पादन भी प्रदान करेगा। केन-बेतवा लिंक योजना से जिन जिलों को लाभ होगा उनमें मध्य प्रदेश में छतरपुर, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, रायसेन और पन्ना और उत्तर प्रदेश में झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर शामिल हैं। बुंदेलखंड के 62 लाख लोगों को भी इस परियोजना से बेहतर पेयजल आपूर्ति हो सकेंगी।
- केन बेतवा लिंक परियोजना की अनुमानित लागत:
परियोजना लगभग 44,605 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरी होगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण, परियोजना को लागू करने के लिए special purpose vehicle (एसपीवी), का गठन किया जाएगा और केंद्र सरकार परियोजना की कुल लागत का 90 प्रतिशत खर्च उठाएगी, जबकि शेष 10 प्रतिसत खर्च राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा।
11 फरवरी, 2022 को जारी एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट प्राधिकरण ढोढन बांध, बिजली घर, सुरंगों और केन बेतवा लिंक जल वाहक पर कार्यों को कार्यान्वयन करेगा।
- परियोजना में पर्यावरण को लेकर चिंता:
जहां एक ओर केन बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना से सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जल संकट की समस्या का समाधान होने की उम्मीद है, वहीं दूसरी और कई पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ताओं ने पन्ना टाइगर रिजर्व पर इसके प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है। राष्ट्रीय उद्यान के भीतर निर्माण कार्य की वजह से 46 लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की संभावना है। टाइगर रिजर्व कई लुप्तप्राय वन्यजीव प्रजातियों का घर है। इसके अलावा, केन बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना के विकास से KBLP के दौधन बांध के तहत 6,017 हेक्टेयर वन भूमि के जलमग्न होने का भी खतरा है।
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