वर्तमान समय में पन्ना की धरती से खूब मिल रही हीरो की अपार संपत्ति।पन्ना की धरती से निकले हीरों पर किसका हक? जानते हैं ₹ 700 में रातों-रात अमीर बनने की पूरी प्रक्रिया
पन्ना, 8 डी साल 1973 में आई फिल्म 'हीरा पन्ना' (heera panna) का एक गाना है-'पन्ना की तमन्ना है,कि हीरा उसे मिल जाए' यूं तो इस गाने का मध्य प्रदेश में हीरे उगलने वाली भूमि पन्ना से कोई लेना-देना नहीं, मगर यहां पर हीरा मिलने की हर किसी की तमन्ना पूरी हो सकती है। उसके लिए एक कानूनी प्रक्रिया होती है।
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Bharat mein sabse Jyada Hira kahan Milte Hain
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हम यह जानेंगे:
🪐+1.1.हीरा कार्यालय पन्ना मध्य प्रदेश
🪐+1.2.पन्ना जिले में हीरे से जुड़ी जानकारी
🪐+1.3.पन्ना में हीरा खदान पाने का पहला कदम
🪐+1.4.पट्टा लेने के बाद हीरा ढूढने की प्रक्रिया
🪐+1.5.हीरे पर रॉयल्टी का खर्च
🪐+1.6.हीरा नीलामी प्रक्रिया
🪐+1.7.पन्ना में मिलने वाले हीरों के प्रकार
🪐+1.8.2018 में मिला ढाई करोड़ का एक हीरा
🪐+1.9.हीरा मिलने के बाद पैसा प्राप्ति
🪐+2.1.पन्ना में ही मिलते हीरे
🪐+2.2.एक सप्ताह में महिला बन गई लखपति
🪐+2.3.खुदाई के दौरान हीरे की पहचान
🪐+2.4.पन्ना की सबसे ज्यादा हीरों बाली खदान
🔯हीरा कार्यालय पन्ना मध्य प्रदेश:
One india hindi news channel से बातचीत में मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में स्थित कार्यालय के अधिकारी, खदान में काम करने वाले मजदूरों ने 700 रुपए खर्च करने से लेकर जेब में लाखों रुपए आने तक की पूरी प्रक्रिया कुछ इस प्रकार से समझाई।
🔯पन्ना जिले में हीरे से जुड़ी जानकारी:
इस खबर में विश्व विख्यात पन्ना के हीरों को लेकर आपके मन में उठने वाले सभी सवालों के जवाब मिलेंगे। मसलन-पन्ना में हीरा किस प्रकार से ढूंढा जाता है? पन्ना में हीरा कहां-कहां पाया जाता है? खदान में मिले हीरे पर किसका हक होता है? कौन व्यक्ति हीरे के तलाश कर सकता है? हीरे की quality और कीमत कैसे तय होती है?
🔯पन्ना में हीरा खदान पाने का पहला कदम:
पन्ना जिले स्थित हीरा कार्यालय के हीरा पारखी अनुपम सिंह बताते हैं,कि पन्ना में हीरा ढूंढने के लिए कहीं का कोई भी व्यक्ति खुदाई कर सकता है। इसके लिए सबसे पहला कदम हीरा कार्यालय से पट्टा (lisence) लेना होता है, जो तीन फोटो(पासपोर्ट साइज) आधार कार्ड की कॉपी और दो सौ रुपए का चालान जमा करवाने पर मिलता है। पट्टा सिर्फ जनवरी से दिसम्बर तक के लिए ही वैध होता है। बाद में नया पट्टा लेना पड़ता है।
🔯पट्टा लेने के बाद हीरा ढूढने की प्रक्रिया:
डायमंड(हीरा) ऑफिस कार्यालय पन्ना से पट्टा मिलने का मतलब होता है,कि संबंधित व्यक्ति को विभाग की ओर से हीरा खदानों में 8*8 मीटर की एक जगह उपलब्ध करबदी जाती है, जहां पर वह एक साल में कभी भी खुदाई करके हीरा ढूंढ सकता है। पन्ना जिले में हीरे की 25 खदानें हैं, जिनमें सरकारी (NMDC Panna) व निजी दोनों खदान शामिल है।
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🔯हीरे पर रॉयल्टी का खर्च:
किसी लाइसेंसधारी व्यक्ति को पन्ना की खदान में हीरा मिलने के बाद उसे डायमंड(हीरा) कार्यालय में वह हीरा जमा करवाना पड़ता है, जो व्यक्ति को मिला हुआ होता है। जहां उसकी गुणवत्ता व कीमत तय होती है। फिर उसे नीलामी के लिए रख दिया जाता है। चाहे 100 रुपए का हो या एक करोड़ का उस पर सरकार 12.5 प्रतिशत की दर से एक प्रतिशत टीडीएस(tds) समेत रॉयल्टी वसूलती है। शेष राशि उस व्यक्ति को दी जाती है।
🔯हीरा नीलामी प्रक्रिया:
हीरा कार्यालय पन्ना मध्य प्रदेश में 200 से 250 व्यक्तियों प्राप्त हीरों के एकत्रित होने पर,उन सबको एक साथ ऑफ़लाइन(offline) नीलामी के लिए रखा जाता है, जिसमें मुम्बई, भोपाल, सूरत, दिल्ली समेत कई जगहों के हीरा व्यापारी इस नीलामी में हिस्सा लेते हैं। सरकारी दर(rate) से बोली शुरू होती है। सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को हीरा सौंप दिया जाता है। पन्ना की धरती में इतने हीरे निकलते हैं, कि औसतन हर तीन-चार माह बाद हीरों की नीलामी होती है।
🔯पन्ना में मिलने वाले हीरों के प्रकार:
पन्ना की भूमि मुख्यतः तीन तरह के हीरे प्राप्ति की दृष्टि से देखी जाती है। उनकी गुणवत्ता की पहचान हीरा कार्यालय के पारखी (dimond velluar) अनुपम सिंह करते हैं। यहां पर जेम (white coller), ऑफ कलर (of coller) और इंडस्ट्रियल क्वालिटी (industrial quality) के डायमंड पाए जाते हैं। सबसे महंगा जेम dimond होता है। Of कलर का डायमंड फैंसी आइटम में काम आता है, जबकि इंडस्ट्रियल क्वालिटी के डायमंड से कांच काटे जाते हैं।
🔯2018 में मिला ढाई करोड़ का एक हीरा:
पन्ना में हीरे के कैरेट व उसके कलर से कीमत तय होती है। यहां पर 100 रुपए से लेकर 2.5 करोड़ रुपए तक का एक हीरे मिल चुके हैं। पन्ना में सन 1961 से हीरा कार्यालय शुरू हुआ था। Dimond कार्यालय पन्ना के 61 साल के इतिहास में साल 2018 में कृष्ण कल्याणपुर के पट्टी क्षेत्र में मोतीलाल लाल प्रजापति 42 कैरेट का हीरा मिला था, जो नीलामी में ढाई करोड़ रुपए में बिका था। हाल ही इसी इलाके के मुलायम सिंह यादव को एक दिन में सात हीरे मिले।
🔯हीरा मिलने के बाद पैसा प्राप्ति:
हीरे पर सिर्फ लाइसेंसधारी व्यक्ति का ही हक होता है। चाहे उसने खुद खुदाई की हो या फिर किसी मजदूर से खुदाई करवाई हो। इसके बाद हीरे को डायमंड कार्यालय में जमा करवा दिया जाता है। कार्यालय उसे नीलामी में रखता है। नीलामी में हीरे पाने वाले को व्यापारी को सम्पूर्ण राशि के भुगतान के लिए एक माह का समय दिया जाता है।
नीलामी के ठीक एक महीने में हीरे मालिक की जेब में पैसे आ जाते हैं। व्यापारी द्वारा समय पर भुगतान नहीं करने पर उसकी पांच हजार रुपए की जमानत राशि जब्त करके सरकारी खाते में डाल दी जाती है और हीरा अगली नीलामी में रखा जाता है।
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🔯पन्ना में ही मिलते हीरे:
हीरा पारखी अनुपम सिंह बताते हैं,कि भारत में अब तक का सबसे बड़ा हीरा भंडार पन्ना की भूमि है। यह कुदरत की देन है। वैसे अधिक ताप वाली भूमि में हीरे पाए जाते हैं, जो पन्ना की भूमि में है। इसके अलावा पड़ोसी जिले छतरपुर में पन्ना टाइगर रिजर्व से लगते बक्सवाहा क्षेत्र में भी विश्व के बेशकीमती हीरे निकलते हैं।
🔯एक सप्ताह में महिला बन गई लखपति:
पन्ना जिले में डायमंड खदान में भाग्य आजमाने वालों की किस्मत कभी भी पलट सकती है। इसका उदाहरण सकरिया खदान की वो महिला मजदूर है, जिसके हाथ महज एक सप्ताह खुदाई करने पर ही दस लाख का हीरा लग गया।
🔯खुदाई के दौरान हीरे की पहचान:
पन्ना जिले में छह दशक से हीरे निकाले जा रहे हैं। ऐसे में यहां के खदान मजदूरों को हीरे के बारे में थोड़ी- बहुत जानकारी है। वैसे भी खुदाई के दौरान अगर कोई हीरे जैसे वस्तु मिलती है, तो लोग खदान पर ही मौजूद हीरा सिपाही से पूछ लेते हैं,कि वह हीरा है या नहीं। फिर भी कोई शक होने पर हीरा कार्यालय ले जाकर जांच करवाई जाती है।
🔯पन्ना की सबसे ज्यादा हीरों बाली खदान:
पन्ना जिला मुख्यालय से पूर्व दिशा में 40 kilometar तक। पहाड़ीखेरा क्षेत्र में जो सतना जिले से लगता है
पन्ना जिला मुख्यालय से पश्चिम दिशा में 15 kilometer तक। जरुआपुर गांव के आस-पास के इलाका।
पन्ना जिला मुख्यालय से दक्षिण दिशा में भी 15 kilometer तक। ढलान चौकी के आस-पास का क्षेत्र।
पन्ना जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा में 12 kilometer तक। सतना रोड पर सकरिया के आस-पास का इलाका।
🔯पन्ना में हीरे खदान की गहराई:
पन्ना के भूगर्भ में हीरा पाया जाता है,जिसका जिक्र हम कई बार कर चुके है। जमीन पर सबसे पहले 3 से लेकर 30 फीट तक की गहराई में ग्रेवल निकलती है। फिर ग्रेवल के बाद की जमीन में हीरे मिलने की संभावना ज्यादा रहती है। इस मिट्टी की खुदाई के साथ-साथ पानी से धुलाई की जाती है, ताकि कोई चमकता हुआ हीरा नजर आ जाए।
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🔯ब्रह्मेश्वर धाम पीठाधीश्वर जी की बायोग्राफी
🔯वर्तमान समय में पीठाधीश्वर महाराज कहां है?
🔯ब्रह्मेश्वर धाम सिद्धपीठ का मोबाइल नंबर
🔯ब्रह्मेश्वर धाम सिद्धपीठ छतरपुर एमपी
🔯सतना से ब्रह्मेश्वर धाम कैसे जाएं?
🔯दिल्ली से ब्रह्मेश्वर धाम कैसे जाएं?
🔯भोपाल से ब्रह्मेश्वर धाम कैसे जाएं?
🔯सागर से ब्रह्मेश्वर धाम कैसे जाएं?
🔯इंदौर से ब्रह्मेश्वर धाम कैसे जाएं?
🔯मुंबई से ब्रह्मेश्वर धाम कैसे जाएं?
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