Top 10,20 tourist place chhatarpur mp, Chhatarpur madhya pradesh Tourist in chhatarpur madhya pradesh Chhatarpur pin code 471001 Chhatarpur tourism(छतरपुर मध्य प्रदेश)
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Tourist in chhatarpur madhya pradesh
Chhatarpur pin code 471001
Chhatarpur tourism
छतरपुर मध्य प्रदेश विश्व पर्यटक नगरी खजुराहो छतरपुर का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यहां पर देश-विदेश से लाखों सैलानी घूमने के लिए आते हैं। खजुराहो एक विश्व धरोहर स्थल है और यहां पर करीब 22 में मंदिर है, जो प्राचीन है। इन सभी मंदिरों की मूर्तिकला बहुत ही अद्भुत है। इन मंदिर समूहों को 3 वर्गों में बांटा गया पश्चिमी समूह,पूर्वी समूह,और दक्षिणी समूह मंदिर। आप इन सभी मंदिर में घूमने के लिए आ सकते हैं।
इसके अलावा कई ऐसे अन्य दार्शनिक स्थल है, जहां पर सैलानी घूमने के लिए आ सकते हैं।
Table of content:-
1.1-रनेह फॉल
1.2-कुटनी बांध
1.3-बेनी सागर बांध
1.4-केन घड़ियाल अभ्यारण
1.5-पन्ना नेशनल पार्क
1.6-पांडव झरना
1.7-गोपाल रंग भवन छतरपुर
1.8- राजगढ़ का किला
1.9- गुलगंज का किला
2.1- छत्रसाल संग्रहालय
2.2- काली माता मंदिर छतरपुर
2.3- झनझन देवी छतरपुर
2.4- हनुमान टोरिया छतरपुर
2.5- भीमकुंड छतरपुर
2.6- बिजावर का किला
2.7- जटाशंकर धाम
2.8- बागेश्वर धाम
2.9- रनगुवा बांध एवम गंगऊ बांध
कुटनी बांध -kutni dam:-
पर्यटक नगरी खजुराहो का भ्रमण करने के पश्चात कुछ विदेशी सैलानी कुटनी डैम का भी रुख करते हैं। इसका मुख्य reasion खजुराहो से दूरी पर स्थित होना है। देशभर के सैलानी कुटनी डेम आकर इस आइसलैंड का लुफ्त उठा सकते हैं। इसके बाद बात करते हैं पास में स्थित बेनीसागर बांध की।
बेनी सागर बांध:- Beni Sagar Dam:-
बेनी सागर बांध विश्व पर्यटक नगरी खजुराहो और थाना बमीठा के बीच स्थित है। इस स्थान को भी विशेष रूप से जन्मदिन सेलिब्रेशन के हिसाब से पास एवं देशभर के सैलानी घूमने के लिए आते हैं। बेनी सागर बांध किस नदी पर स्थित है। इसके क्षेत्रफल की बात करें तो 7.7 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
केन घड़ियाल अभ्यारण:- Ken Gharial Sanctuary:-
केन घड़ियाल अभ्यरन विश्व पर्यटक नगरी खजुराहो के पास में स्थित एक प्रसिद्ध जगह है। केन घड़ियाल अभ्यरण्य को केन वन्यजीव अभयारण्य, केन अभयारण्य, केन घड़ियाल सेंचुरी के नाम से भी जाना जाता है। केन घड़ियाल अभयारण्य पन्ना टाइगर रिजर्व का ही एक part है। यहां पर आपको घड़ियाल और मगरमच्छ देखने के लिए मिल जाते हैं। घड़ियाल और मगरमच्छ के बीच तुलना करें तो, घड़ियाल का मुंह लंबा होता है और यह मगरमच्छ से छोटे रहते हैं। यह दोनों ही जीव केन नदी में देखने के लिए मिल जाते हैं। केन वन्य जीव अभ्यारण बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर आप मगरमच्छ और घड़ियाल को देखने के अलावा भी अन्य वन्य प्राणी को भी देख सकते हैं। आप मोर, चीतल, सियार, नीलगाय इन सभी जानवरों को देख सकते हैं। यहां पर और जानवर भी रहते है, जो दिन के समय आराम करते और वह शाम के समय घूमने निकलते हैं। यहां पर देश और विदेश के सैलानी आकर इस जगह का लुफ्त उठा सकते हैं।
पन्ना नेशनल पार्क:- Panna National Park:-
बात करें पन्ना नेशनल पार्क की।हम सभी लोग जानते हैं, कि विश्व प्रसिद्ध पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिले में दोनों भागों में फैला हुआ है। इसी पन्ना नेशनल पार्क के अधिकतम क्षेत्र पर महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना केन बेतवा लिंक नहर परियोजना के लिए ढोढन बांध बनाया जाएगा। जिसमें पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का अधिकतम हिस्सा डूब क्षेत्र में आ रहा है,जो देश-विदेश के सैलानियों के लिए पर्यटक स्थल के रूप में देखा जाता है।बांध बनने के तत्पश्चात केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश के कुछ नेशनल पार्क को पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से जोड़ा जाएगा। कमी को पूरा करने के लिए विदेशी पर्यटक जिस प्रकार से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में प्रकृति का आनंद लेते थे। उसी प्रकार आने वाले समय में भी प्रकृति को निहार सकेंगे।
पांडव झरना:- Pandav Waterfall:-
पन्ना से 14 किमी और khajuraho से 34 किमी की दूरी पर, पांडव जलप्रपात मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिले में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित एक शांत झरना है। खजुराहो – पन्ना राजमार्ग पर स्थित, पांडव जलप्रपात पन्ना और छतरपुर में दर्शनीय झरनों में से एक है।
पांडव जलप्रपात मध्यप्रदेश में केन नदी की एक सहायक नदी द्वारा गिराया गया बारहमासी झरना है। यह गिरता हुआ झरना लगभग 30 meter की ऊंचाई से एक दिल के आकार के पूल में गिरता है। हरे-भरे जंगलों से घिरा, water fall शानदार है और यहां मानसून के मौसम में भी पहुँचा जा सकता है। पांडव फॉल्स की शांति, पवित्रता और रहस्यपूर्ण वातावरण स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित करती है। गिरते झरने में पानी की एक बड़ी पूल की अनदेखी कुछ प्राचीन गुफाएं हैं। माना जाता है,कि महाभारत के पांडवों ने अपने निर्वासन का एक हिस्सा यहां बिताया था।
राजगढ़ का किला:- Rajgarh Fort:-
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रानी राजो और राजा पारीक्षत ने भी अंग्रेजों के खिलाफ छापामार युद्ध करते हुए कई बार राजगढ़ किले (पैलेस) में शरण ली। किले के आसपास गांव में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग सेनानियों की हमेशा मदद करते थे। Prensent में इस किले को हैरिटेज होटल में तब्दील करने के लिए सरकार ने ओबेराय ग्रुप को लीज पर दे दिया।
छतरपुर,पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में केन नदी के किनारे स्थित राजगढ़ पैलेस बुंदेली हस्तशिल्प का बेजोड़ नमूना है। पन्ना रियासत के टूटने के बाद यह किला छतरपुर रियासत की सीमा में होते हुए भी राजा की सेना का प्रभाव किले पर कमजोर था। 1757 और 1857 की क्रांतियों के दौरान जंगल में बना यह किला आजादी के मतवालों के लिए शरण स्थली रहा है। यहां पर सैलानी आकर प्रकृति को निहार सकते हैं।
गुलगंज का किला:- Gulganj Fort:-
गुलगंज किला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में 18 बी शताब्दी का किला है। एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह बुंदेली स्थापत्य शैली में बनाया गया है। यह एक निवास के रूप में इस्तेमाल किया गया था और साथ ही, एक रक्षात्मक संरचना के रूप में भी इस्तेमाल किया गया। ब्रिटिश राज के तहत , किले का इस्तेमाल स्थानीय प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में किया जाता था।
(1) किला एक विशिष्ट गढ़ी है - जिसे स्थानीय भाषा में जंगल या पेड़ों में छिपे पानी के स्रोत के पास पहाड़ी की चोटी पर और मुख्य रास्तों से दूर एक छोटे से किले के रूप में परिभाषित किया गया है।
(2) ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण राजा सावंत सिंह ने अपनी मालकिन गुलबाई के लिए करवाया था।
छत्रसाल संग्रहालय:- Chhatrasal Museum:-
महाराजा छत्रसाल का किला एवं महाराजा छत्रसाल का संग्रहालय chhatarpur ही नही ,बल्कि मध्य प्रदेश का एक प्रसिद्ध स्थल है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय को धुबेला म्यूजियम (dhubela museium) नाम से भी जाना जाता है। यह संग्रहालय धुबेला झील के किनारे बना हुआ है। इसलिए इसे धुबेला संग्रहालय कहा जाता है। छतरपुर जिले को छत्रसाल की नगरी के नाम से जाना जाता है,यह तो हम सभी जानते ही हैं। छतरपुर जिले को महाराजा छत्रसाल के द्वारा बसाया गया था। छतरपुर जिले के मऊ सहानिया में महाराजा छत्रसाल का किला एवं संग्रहालय स्थित है।
महाराजा छत्रसाल ने अपने निवास स्थान के लिए बनाया था और इसे धुबेला महल के नाम से भी जाना जाता है। यह महल धुबेला झील के किनारे स्थित है। इस इमारत का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। यह इमारत बुंदेला वास्तु कला में बनाई गई है। महाराजा छत्रसाल महल को 1955 में संग्रहालय में बदल दिया गया। इस संग्रहालय का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी के द्वारा किया गया था
काली माता मंदिर छतरपुर:- Kali Mata Temple Chhatarpur:-
पौराणिक मान्यता छतरपुर जिलें के हमा गांव में बना यह काली देवी माता का मंदिर। जहां पर विराजमान मां काली देवी अपने भक्तों को तीन रूपों में दर्शन देती हैं।लोगों को तीन रूपों में दर्शन देने का यह सिलसला कोई नया नहीं, बल्कि 300 सालों से चला आ रहा है। मंदिर के पुजारी का कहना है, कि माता रानी कलकत्ता से बिराज मान हुई और एक यज्ञ-हवन के दौरान कन्या रूप में प्रगट होकर प्रतिमा के रूप में यहां स्थापित हो गईं थीं।
पौराणिक मान्यता छतरपुर जिलें के हमा गांव में बना यह काली देवी माता का मंदिर जहां पर विराजमान मां काली देवी अपने भक्तों को तीन रूपों में दर्शन देती हैं।लोगों को तीन रूपों में दर्शन देने का यह सिलसला कोई नया नहीं बल्कि 300 सालों से चला आ रहा है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि माता रानी कलकत्ता से आईं थीं और एक यज्ञ-हवन के दौरान कन्या रूप में प्रगट होकर प्रतिमा के रूप में यहां स्थापित हो गईं
हनुमान टोरिया छतरपुर:- Hanuman Toriya Chhatarpur:-
छतरपुर शहर के बीचों बीच पहाड़ी पर प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित भगवान श्री राम, श्री स्वर्ण श्रृंगार,श्री हनुमानजी महाराज,श्री भोले नाथ,माँ दुर्गा एवं श्री पंचमुखी हनुमानजी का भव्य और अत्यंत प्राचीन,सिद्ध ओर मनमोहक मंदिर है।यह छतरपुर में एक आस्था का केंद्र होने के साथ ही यहां पर लोग अपनी मन की शांति हेतु भी घूमने जाते है।
पहाड़ी पर होने के कारण, यहां से पूरा छतरपुर देखा जा सकता है।
भीमकुंड छतरपुर:- Bhimkund Chhatarpur:-
दुनिया के अनसुलझे रहस्यों में से एक रहस्य मध्य प्रदेश के जिला छतरपुर के अंतर्गत आने वाला भीमकुंड जिसका जिक्र महाभारत काल से लेकर आज तक किया जाता है। देश- विदेश तमाम साइंटिस्ट द्वारा समय-समय पर यहां आकर निरीक्षण किया जाता है, कि इसकी गहराई आखिर कितनी है, लेकिन इस रहस्यमई कुंड की पहेली को सुलझान वैज्ञानिकों के लिए असंभव काम है। इन्ही सभी रोचक तथ्य को निहारने के लिए दुनिया भर से सैलानी भीमकुंड का रुख करते हैं।
बिजावर का किला:- Bijawar Fort:-
बिजावर मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित एक तहसील है। यह तहसील अपना ऐतिहासिक महत्व रखती है। बिजावर का इतिहास गौंडों और बुंदेलों की शौर्यपूर्ण गाथा साक्षी रहा है। बिजावर में एक किला देखने को मिलता है। जिसे बिजावर का किला या जटाशंकर का किला भी कहते है। किले के समीप स्थित प्राचीन जटाशंकर मंदिर के कारण जटाशंकर का किला नाम पड़ गया है। खूबसूरत बिजावर का तालाब और उसके किनारे बना यह ऐतिहासिक किला है।
जटाशंकर धाम:- Jatashankar Dham:-
Madhya pradesh स्थित छतरपुर जिले के तहसील बिजावर में बनी विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीचो-बीच स्थित जटाशंकर धाम बुंदेलखंड का केदारनाथ कहलाता है। धाम अद्भुत पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ प्राकृतिक सुंदरता के लिए शंकर भगवान की कृति स्थल का वर्णन कर रहा है।
jatashankar dham(जटाशंकर धाम) की ख्याति, गुफाओं,कंदरा,सेल एवं जड़ी बूटियों से होकर बहने वाले जल से बने झरने के रूप में कुंड मैं स्नान करने के बाद चर्म रोग(skin disease) जैसी बीमारियों से मुक्ति दिलाने की मान्यता के साथ जुड़ी हुई है। प्राकृतिक रूप से निर्मित दो कुंडी में भरे हुए गर्म एवं ठंडे जल में स्नान करने लोगों को चर्म रोग जैसी बीमारियों से मिलता है निजात।
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