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Neembu ki kheti kaise kare poori jaankaari bagbani kheti madhya pradesh Neembu की खेती मध्य प्रदेश, bundelkhand

भाइयों नमस्कार। हम बात करेंगे मध्य प्रदेश के जिलों में की जाने वाली नींबू वर्गीय फसल या अन्य प्रकार की बागवानी फसलों के बारे में।आज हम सभी अच्छे तरीके से जान रहे हैं, कि बुंदेलखंड क्षेत्र भयंकर सूखे से गुजर रहा है। ऐसे में बात आती है, कि किसान या अन्य दाता अपनी आमदनी को कैसे बढ़ा सकते हैं।हमारे देश में  लाखों किसान हैं, बागवानी फसलों की खेती करके लाखों और करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य किसान भाइयों को कम लागत और कम  भूमि में बागवानी फसलों की खेती किस प्रकार करें और मुनाफा किस प्रकार से कमाए इसी पूरी जानकारी को लेकर हम आए हम चर्चा करेंगे।

Table of content:-

1.1- neembu का सामान्य परिचय 

1.2- नींबू की भूमिका 

1.3- जलवायु चयन 

1.4- किस प्रकार की भूमि की जरूरत होगी

1.5- प्रजाति का चयन करना

1.6- पौधरोपण की विधियां 

1.7- सिंचाई करने की पद्धति 

1.8- खरपतवार नियंत्रण 

1.9- कीट नियंत्रण 

2.1- फलों की तुड़ाई

2.2- भंडारण क्षमता 

2.3- लागत(खर्च)

2.4- कुल कमाई (मुनाफा)

सामान्य परिचय-general introduction-

नींबू को अंग्रेजी में lemon कहा जाता हैं,जैसा कि कई किसान पहले से ही जान रहे होंगे। Neembu का वैज्ञानिक नाम citrus limon है। वैज्ञानिकों का विचार है,नींबू की उत्पत्ति कहाँ हुई इसके बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं है,परन्तु आमतौर पर लोग ...भारत के हिमालियन क्षेत्र को नींबू का उत्पत्ति क्षेत्र माना जाता है। जलवायु में यह इतना घुल मिल गया है, कि इसकी खेती भारत की लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। खासकर ऐसे इलाकों में जहां पर पानी की काफी किल्लत है।उदाहरण के तौर पर बुंदेलखंड क्षेत्र छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह महोबा, झांसी, ग्वालियर आदि को माना जाता है।

Neembu की भूमिका:-role of lemon-

नींबू (Lemon) का सेवन आप किसी भी मौसम में कर सकते हैं। नींबू में जो फायदे हैं, हम सभी भली भांति जानते हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण ये है,कि नींबू से आपको काफी व्यक्तिगत एवं सेहत से जुड़े फायदे प्राप्त हो सकते हैं। ये ना सिर्फ शरीर को विटामिन सी (Vitamin C) प्रदान करता है,बल्कि इसके फाइबर युक्त गुण के कारण आपका पाचन क्रिया भी ठीक होती है।

विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक कंपनियां नींबू से बने प्रोडक्टों को बाजार में अच्छे दामों पर बेंच रही हैं। इसकी उपयोगिता भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उत्पादन व उत्पादकता के हिसाब से काफी ज्यादा है। अभी हाल में ही भारत के बड़े महानगरों से लेकर गांव- कस्बों तक नींबू को ₹200 से ₹300 प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा गया। हम अनुमान लगा सकते हैं,कि आज के दौर में नींबू उत्पादन कितना आवश्यक हो गया है।

Neembu का फल सभी प्रकार की बागवानी की खेती में  एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी उपयोगिता एवं पौष्टिकता को ध्यान में रखते हुए लोग इसे गरीबों का मसीहा भी कहते हैं। 

जलवायु का चयन:-Climate selection:

नींबू वर्गीय फसलो की खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु में सफलतापूर्वक की जा सकती है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्र 1245 सेंटीमीटर से अधिक इसकी बागवानी उपयुक्त नहीं है। हम बात कर रहे हैं, बुंदेलखंड क्षेत्र की जहां इतनी मात्रा में बारिश होना संभवता संभव नहीं है। तापमान की बात करें तो पूर्ण विकसित पौधे 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान आसानी से सहन कर सकते हैं।

भूमि का चयन-Land selection-

Neembu के पौधे को लगभग प्रत्येक प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है,परंतु अच्छे उत्पादन के लिए उपजाऊ बलुई, दोमट और काली मिट्टी अच्छी रहती है। बलुई भूमि का ph मान 4.5 से 8.2 ph मान पर इसे सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

प्रजाति चयन:-Species Selection:-

नींबू की कई किस्में होती हैं, जो प्रायः प्रकंद के काम में आती हैं, उदाहरणार्थ फ्लोरिडा रफ, करन या खट्टा नीबू, जंबीरी आदि। कागजी नीबू, कागजी कलाँ, गलगल तथा लाइम सिलहट ही अधिकतर घरेलू उपयोग में आते हैं। इनमें कागजी नीबू सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसके उत्पादन के स्थान मद्रास, बंबई, बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र हैदराबाद, दिल्ली, पटियाला, उत्तर प्रदेश, मैसूर तथा बड़ौदा प्रमुख हैं।

नींबू लगाने की विधियां:-

नींबू की रोपाई से पहले गर्मी के दिनों में खेत की गहरी जुताई करें। रोपाई के लिए 60 सेमी x 60 सेमी x 60(2x2x2फीट) सेमी के गड्ढे खोदें। पौधा लगाने से पहले गोबर की कंपोस्ट को गड्ढे में डालकर कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें। पौधे  से पौधे  की दूरी कम -कम 10x12 feet रखनी चाहिए। पौधा रोपण करने से पहले उनका उपचार करें, इससे पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। एक एकड़ के लिए 10x12 रखने पर 363 पेड़ लगाए जा सकते हैं,क्योंकि 

1 एकड़ =43560sqt. यानी एक एकड़ में 10x12x363=43560sqf. 

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नींबू पेड़ की सिंचाई:-Irrigation of lemon tree:-

रोपाई के तुंरत बाद पेड़ की सिंचाई करें। सिंचाई करने की सबसे उपयुक्त विधि 'रिंग' रीति है जिसमें पौधों की सिंचाई उनके आस-पास घेरा बनाकर की जाती है। गर्मियों के मौसम में हर 10 या 15 दिन के अंतर पर और सर्दियों के मौसम में प्रति 4 सप्ताह बाद सिंचाई करनी चाहिए।मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की बात करें तो वहां पर आनिब की कमी को साफ देखा जा सकता है।इसी किसानों को बागवानी खेती में रुचि लेनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण :-

फलों के पौधों की रोपणी की कतारों के बीच में जैसे खुरपी, हेण्ड हो, व्हील हो के माध्यम से खरपतवारों को नष्ट किया जा सकता है।फलोद्यानों में जो किसान हल से खेती कर रहे है, वे हल चलाकर या मोटर चलित ट्रैक्टरों एवं टिलर्स के माध्यम से भी खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण समय- समय पर कर सकते है। नींबू का जिनमें खरपतवार काफी संख्या में पनपते हैं। ऐसी स्थिति में आक्षांदित (कवर) फसलें या अंतवर्तीय फसलें ली जा सकती है। जिससे खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण होता है। साथ ही साथ बागानों के शुरू की अवस्था में खाली पड़ी जगह का उचित उपयोग भी हो जाता है। तथा इससे अतिरिक्त आमदनी का जरिया भी बन जाता है।

कीट नियंत्रण:-Pest Control :-

नींबू के पौधे से कीटों को दूर रखने के लिए नीम स्प्रे और बेकिंग सोडा के अलावा आप जेट पानी का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए सप्ताह में दो से तीन बार पौधे पर जेट पानी का छिड़काव कर सकते है। इससे कीड़े आसानी से जमीन के नीचे गिर जाते हैं। हालांकि, आप नीम का spray करके कीटों पर नियंत्रण पा सकेते हैं।

फलों की तुड़ाई:-Fruit Harvesting:-

खट्टे नींबू के पौधों में एक साल में कई बार फल लगते है और इसके फलो को तैयार होने में लगभग 6 माह का समय लगता है। जब फल पक कर हरे रंग से पीले रंग के हो जायें, तब उसकी तुड़ाई शुरू कर दी जाती है,बाकी हम सभी समझदार गांव,फलों किन तुड़ाई कब करनी है।फलों को तोड़ते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए, कि फलों का साथ-साथ थोडा हिस्सा तनों और पत्तियों का भी तोड़ लिया जाए ताकि फल के छिलके को कोई नुकसान न हो।

भंडारण क्षमता:-storage capacity:-

नींबू को सामान्य तापमान पर 8 से 10 दिन तक भण्डारित आराम से किया जा सकता है। नींबू के फलों को 9 से 10 डिग्री सेल्सियस टेंप्रेचर पर 85 से 90 प्रतिशत सापेक्षिक आर्द्रता पर 6 से 8 हफ्ते तक भण्डारित किया जा सकता है। इसके अलावा भंडार गृह में कई एसी व्यवस्था की जाती की फलों को महीनो तक भंडारित किया जा सके।

कुल लागत(1एकड़)-Total cost(1 acre)-

अब बात आती है, लागत की 1 एकड़ में नींबू के पेड़ लगाने में कितनी लागत आएगी। यह निर्भर करता है, कि आप किस प्रजाति का और किस नर्सरी से लाकर पौधरोपण करेंगे। नींबू की अच्छी किस्म का चयन करने पर 70रू. से लेकर 150रू.तक मिल जाता है। यह निर्भर करता है,पौधा कितने दिन या साल पहले नर्सरी में तैयार हुआ। अच्छी प्रजाति के पौधे आमतौर पर 80रू में ही मिल जाते।

एक एकड़ में पौधों की संख्या=363

                  363x80 करने पर

                 =29040रू

अन्य खर्च जैसे गोबर खाद,लेबर,ट्रांसपोर्ट आदि का खर्च प्रति पेड़ 9रू लेकर भी चले तो आपका 

                 363x9

                 3,267रू खर्च आएगा

    Total cost -29040+3,267

                 =32,307रू.

वैसे तो किसानों को लेबर खर्च,बर्मी कंपोस्ट आदि का खर्च नही लगना चाहिए,क्योंकि किसान खुद इतनी मेहनत पौध रोपण समय कर सकता है।

                 

कुल मुनाफा:total revenue:-

मुनाफे के बात करें तो एक एकड़ खेत में 363 पेड़ लगाए जा सकते है।(10x 12feet) यदि एक पेड़ से 20 से 50kg फलों में से एक example के तौर पर 30kg वजन ही एक पेड़ से मानकर चल तब,

                        30x363 

                     =10890kg

                       10890x50rs/kg

                       5,44,500rs 

कुल उत्पादन और लाभ आपके सामने है। यह एक सीजन के हिसाब से calculate किया गया है। दोनों सीजन की बात करे तो

                       5,44,500x 2

                    =10,89000rs 

कुल मिलाकर किसान भाई बागवानी खेती से खूब मुनाफे कमा सकते हैं।

Conclusion:- दोस्तों हमें और हमारी टीम को आशा है,कि आप को नींबू वर्गीय पौधे और बागवानी की खेती करने से संबंधित आपको सभी प्रकार की जानकारी मिल गई होगी। यदि आप भी कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं,तो अपनी प्रतिक्रिया को कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें।

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